उसकी रचनाएँ उसका पता देती हैं
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उसकी रचनाएँ उसका पता देती हैं
معرفة الله- مخلوقاته تدل عليه
< باللغة الهندية >
साइट नोविंग अल्लाह (अल्लाह का परिचय)
موقع معرفة الله
संशोधन व शुद्धिकरण : अताउर्रहमान ज़ियाउल्लाह
مراجعة وتصحيح: عطاء الرحمن ضياء الله
उसकी रचनाएँ उसका पता देती हैं
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बिस्मिल्लाहिर्रहमानिर्रहीम
मैं अति मेहरबान और दयालु अल्लाह के नाम से आरम्भ करता हूँ।
إن الحمد لله نحمده ونستعينه ونستغفره، ونعوذ بالله من شرور أنفسنا، وسيئات أعمالنا، من يهده الله فلا مضل له، ومن يضلل فلا هادي له، وبعد:
हर प्रकार की हम्द व सना (प्रशंसा और गुणगान) केवल अल्लाह के लिए योग्य है, हम उसी की प्रशंसा करते हैं, उसी से मदद मांगते और उसी से क्षमा याचना करते हैं, तथा हम अपने नफ्स की बुराई और अपने बुरे कामों से अल्लाह की पनाह में आते हैं, जिसे अल्लाह हिदायत प्रदान कर दे उसे कोई पथभ्रष्ट (गुमराह) करनेवाला नहीं, और जिसे गुमराह कर दे उसे कोई हिदायत देनेवाला नहीं। हम्द व सना के बाद :
उसकी रचनाएँ उसका पता देती हैं
अल्लाह के अस्तित्व का जो चीज़ सबसे अधिक पता देती है वह उसकी कारीगरी हैं जिसे उसने अच्छी तरह संवारा है, और उसकी रचनाएँ हैं जिन्हें उसने पैदा किया है और उसके अनुग्रह हैं जो उसने अपने आस्तिक और नास्तिक दासों को प्रदान किए हैं।
पवित्र क़ुरआन अल्लाह के चमत्कार और उसकी शक्ति पर सब से बड़ा गवाह है। अल्लाह सर्वशक्तिमान ने उसमें अगलों और पिछलों के समाचार रख दिए हैं, और उसमें ऐसी अनदेखी (प्रोक्ष) बातों का खुलासा किया है जिनकी मनुष्य को पहले जानकारी नहीं थी। यहाँ हम पवित्र क़ुरआन में वर्णित कुछ चमत्कारों को आपके सामने रखते हैं जिनसे अल्लाह के अस्तित्व का साफ़ संकेत मिलता है और यह कि उसे हर चीज़ का पूर्व ज्ञान हैः
* वैज्ञानिकों ने लौह धातु के घटकों के तथ्य का पता करने की कोशिश में बहुत आश्चर्य का सामना किया है। क्योंकि जो ऊर्जा उसके गुटों को जोड़ने के लिए दरकार हैं वह हमारे सौर मंडल में उपलब्ध ऊर्जा से चार गुना बढ़कर है ... यह बात वैज्ञानिकों के लिए बहुत आश्चर्यजनक थी; लेकिन यह तथ्य इस्लामी विद्वानों के लिए आश्चर्य की बात नहीं थी जिन्हों ने अल्लाह सर्वशक्तिमान के इस कथन को देखा थाः
﴿وَأَنزَلْنَا الْحَدِيدَ فِيهِ بَأْسٌ شَدِيدٌ وَمَنَافِعُ لِلنَّاسِ وَلِيَعْلَمَ اللَّهُ مَن يَنصُرُهُ وَرُسُلَهُ بِالْغَيْبِ إِنَّ اللَّهَ قَوِيٌّ عَزِيزٌ ﴾ [سورة الحديد : 25]
“और हम ने लोहा भी उतारा, जिसमें बड़ी शक्ति है और लोगों के लिए कितने ही लाभ है, और (किताब एवं तुला इसलिए भी उतारा) ताकि अल्लाह जान ले कि कौन परोक्ष में रहते हुए उसकी और उसके रसूलों की सहायता करता है। निश्चय ही अल्लाह शक्तिशाली, प्रभुत्वशाली है।” (सूरतुल हदीदः 25)
चुनाँचे मुस्लिम विद्वानों को तुरंत पता चल गया कि अल्लाह सर्वशक्तिमान ने लोहे के विषय में “हमने उतारा” का शब्द इस्तेमाल है, इससे सिद्ध होता है कि लोहा के घटक पृथ्वी के नहीं हैं बल्कि वह तो आकाश से नीचे उतारा गया है । और आधुनिक युग में खनिज वैज्ञानिकों ने भी इसी की पुष्टि की है कि लोहा के घटक पृथ्वी के घटक नहीं हैं ।
* अब चलिए जरा हम समुद्र की गहराइयों में गोता लगाते हैं, क्योंकि समुद्र के भूवैज्ञानिकों ने पता लगाया है कि समुद्र की भूवैज्ञानिक विशेषताएं बिल्कुल वही हैं जो अल्लाह सर्वशक्तिमान ने पवित्र क़ुरआन में उल्लेख किया है, अल्लाह सर्वशक्तिमान का फ़रमान है :
﴿ أَوْ كَظُلُمَاتٍ فِي بَحْرٍ لُّجِّيٍّ يَغْشَاهُ مَوْجٌ مِّن فَوْقِهِ مَوْجٌ مِّن فَوْقِهِ سَحَابٌ ظُلُمَاتٌ بَعْضُهَا فَوْقَ بَعْضٍ إِذَا أَخْرَجَ يَدَهُ لَمْ يَكَدْ يَرَاهَا وَمَن لَّمْ يَجْعَلِ اللَّهُ لَهُ نُورًا فَمَا لَهُ مِن نُّورٍ﴾ [ سورة النور : 40]
"या फिर जैसे एक गहरे समुद्र में अँधेरे, लहर के ऊपर लहर छा रही हैं; उसके ऊपर बादल है, अँधेरे है एक पर एक। जब वह अपना हाथ निकाले तो उसे वह सुझाई देता प्रतीत न हो। जिसे अल्लाह ही प्रकाश न दे फिर उसके लिए कोई प्रकाश नहीं।" (सूरतुन-नूर : ४०)
इस तथ्य का पता ऐसे ही नहीं चला, बल्कि इसके लिए सैकड़ों समुद्री टर्मिनल की स्थापना हुई ... और उपग्रह के द्वारा तस्वीरें ली गईं, तब जाकर इस तथ्य का खुलासा हुआ ... इस बात के कहनेवाले (Professor Rash Ryder) प्रोफेसर राश राइडर पश्चिम जर्मनी में सबसे बड़े समुद्र वैज्ञानिकों में से एक हैं, उन्होंने इन आयतों को सुन कर कहा कि : यह किसी मनुष्य का शब्द नहीं हो सकता है। एक दूसरे प्रोफेसर आते हैं, और वह समुद्र भूविज्ञान के प्रोफेसर डोरजारो हैं, जो हमारे लिए वैज्ञानिक दृष्टिकोण से इन आयतों की प्रामाणिकता की व्याख्या करते हुए कहते हैं : "अतीत में मनुष्य बिना मशीन के इस्तेमाल के बीस मीटर से अधिक समुद्र की गहराई में गोता नहीं लगा सकता था .. लेकिन अब हम आधुनिक उपकरणों के माध्यम से समुद्र की गहराई में गोता लगाते हैं तो हम दो सौ मीटर की गहराई पर बहुत अधिक अंधेरा पाते हैं . . जैसा कि क़ुरआन की आयत ﴿بَحْرٍ لُّجِّيٍّ ﴾ “बहरिन लुज्जी” (एक गहरे समुद्र में) में वर्णित किया गया है।
इसी तरह समुद्र की गहराइयों की खोज ने हमें अल्लाह तआला के कथनः
﴾ ﴿ظُلُمَاتٌ بَعْضُهَا فَوْقَ بَعْضٍ (अँधेरे हैं एक पर एक) के अर्थ की एक तस्वीर प्रदान करती है।
क्योंकि यह बात सर्व ज्ञात है कि इन्द्रधनुष के सात रंग होते हैं . . उनमें लाल, पीला, नीला, हरा, नारंगी आदि है . . जब हम समुद्र की गहराई में गोता लगाते हैं तो एक के बाद एक ये रंग लुप्त हो जाते हैं .. और हर रंग का लुप्त होना अंधेरा पैदा करता है . . सबसे पहले लाल रंग लुप्त होता है, फिर नारंगी, फिर पीला .. सबसे आखिर में गायब लुप्त होनेवाला नीला रंग होता है जो दो सौ मीटर की गहराई पर लुप्त होता है .. हर लुप्त होने वाला रंग अंधेरे का एक हिस्सा पैदा करता है यहाँ तक कि पूर्ण अंधकार तक पहुँच जाता है ..
जहाँ तक अल्लाह सर्वशक्तिमान के कथन : ﴿مَوْجٌ مِّن فَوْقِهِ مَوْجٌ ﴾ (लहर के ऊपर लहर छा रही हैं) की बात है, तो स्प्ष्ट रहे कि वैज्ञानिक रूप से यह सिद्ध हो चुका है कि समुद्र के गहरे हिस्से और ऊपरी भाग के बीच एक विभाजन रेखा है .. और यह अंतराल लहरों से भरा हुआ है। गोया समुद्र के गहरे अंधेरे हिस्से के किनारे पर लहरें हैं, जिन्हें हम नहीं देख पाते हैं। तथा समुद्र की सतह पर भी लहरें हैं, जिनको हम देखते हैं . . अतः मानो कि वहाँ लहर के ऊपर लहर है . . याद रहे कि यह एक वैज्ञानिक तथ्य है जिसकी पुष्टि हो चुकी है। इसीलिए प्रोफेसर दोरजारो (Professor Dorjaro) ने क़ुरआन की इन आयतों के विषय में साफ़ साफ़ कहा है किः यह मानव ज्ञान नहीं हो सकता।''
यही वह अल्लाह है अगर अभी तक आप ने उसको नहीं पहचाना है !!
उसकी निशानियों और उसकी रचनाओं में मननचिंतन कीजिए !
आकाशों को देखिए उन्हें गिरने से कौन रोकता है ?
धरती को देखिए उसे आपके पैरों के नीचे कैसे समतल बनाया है ?
हर सांस लेने और सांस छोड़ने की प्रक्रिया को देखिए, उस प्रणाली को कौन नियंत्रित करता है ?
निःसंदेह, वह अल्लाह ही है जिसके अलावा कोई पूजा योग्य नहीं, जो जीवित है और सबको संभालनेवाला है ।