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क़ुर्बानी के बारे में बातचीत हुई, कुछ लोगों का विचार यह था कि मृतक पर कु़र्बानी की वसीयत वैध नहीं है, क्योंकि सहाबा रज़ियल्लाहु अन्हुम और नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने अपनी मृत्यु के बाद वसीयत नहीं की थी, इसी तरह खुलफाये राशेदीन ने भी इसकी वसीयत नहीं की। इसी तरह कुछ भाईयों की राय यह थी कि क़ुर्बानी की क़ीमत का सद्क़ा करना उसकी क़ुर्बानी करने से बेहतर है। आप से अनुरोध है कि इस मामले में आप अपने विचार से हमें अवगत करायें।