सदैव यात्रा करने वाले मुसाफिर का हुक्म
मैं एक काम काज वाला आदमी हूँ। रोज़ी की तलाश में मेरी यात्रा लगातार जारी रहती है। मैं फर्ज़ नमाज़ों को सदैव अपनी यात्रा के दौरान जमा (एकत्र) करके पढ़ता हूँ, और रमज़ान के महीने में रोज़ा तोड़ देता हूँ। क्या मेरे लिए ऐसा करने का अधिकार है या नहीं है ?
श्रेणियाँ
- रोज़े से संबंधित मसायल << रोज़ा << उपासनाएं << धर्मशास्त्र
- सामान्य फ़त्वे << फ़त्वे << धर्मशास्त्र