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यह एक महत्व पूर्ण पुस्तिका है जिस में इस बात का उल्लेख किया गया है कि बीमार व्यक्ति किस प्रकार छोटी या बड़ी नापाकी से तहारत (पवित्रता) हासिल करेगा तथा किस तरह नमाज़ पढ़ेगा।