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उस आदमी के बारे में इस्लामी शरीयत का क्या हुक्म है जिसने रमज़ान के छूटे हुए रोज़ों की क़ज़ा को किसी कारणवश दूसरे रमज़ान के बाद तक विलंब कर दिया तथा एक दूसरे आदमी ने उसे बिना किसी कारण के विलंब कर दिया ?