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प्रश्न: उस आदमी के बारे में आप का क्या विचार है जो कहता है: चोर का हाथ काटना और महिला की गवाही को पुरूष की गवाही के आधा करार देना, क्रूरता और नारी के अधिकार को हड़प करना है ॽ

    चोर के हाथ काटने और औरत की गवाही को मर्द की गवाही के आधा करार देने पर आपत्ति व्यक्त करना

    الاعتراض على قطع يد السارق، وجعل شهادة المرأة

    نصف شهادة الرجل

    ] fgUnh - Hindi -[ هندي

    अनुवाद : साइट इस्लाम प्रश्न और उत्तर

    समायोजन : साइट इस्लाम हाउस

    ترجمة: موقع الإسلام سؤال وجواب
    تنسيق: موقع islamhouse

    2012 - 1433

    चोर के हाथ काटने और औरत की गवाही को मर्द की गवाही के आधा करार देने पर आपत्ति व्यक्त करना

    प्रश्न: उस आदमी के बारे में आप का क्या विचार है जो कहता है: चोर का हाथ काटना और महिला की गवाही को पुरूष की गवाही के आधा करार देना, क्रूरता और नारी के अधिकार को हड़प करना है ॽ

    हर प्रकार की प्रशंसा और स्तुति केवल अल्लाह के लिए योग्य है।

    “जो व्यक्ति यह हकहता है कि चोर का हाथ काटना और महिला की गवाही को पुरूष की गवाही के आधा करार देना, क्रूरता और नारी के अधिकार को हड़प करना है ! मैं कहता हूँ कि : जिस व्यक्ति ने यह बात कही वह इस्लाम से मुर्तद – स्वधर्म त्यागी – है, अल्लाह सर्वशक्तिमान के साथ नास्तिकता करने वाला है, उसे इस स्वधर्म त्याग से अल्लाह के सामने तौबा – पश्चाताप - करना चाहिए, अन्यथा वह काफिर होकर मरेगा ; इसलिए कि यह अल्लाह सर्वशक्तिामन का निर्णय है, और अल्लाह सर्वशक्तिमान का फरमान है:

    ﴿وَمَنْ أَحْسَنُ مِنْ اللَّهِ حُكْمًا لِقَوْمٍ يُوقِنُونَ﴾ [المائدة : 50]

    “और यक़ीन रखने वालों के लिए अल्लाह से बेहतर निर्णय करने वाला और हुक्म करने वाला कौन हो सकता है ।" (सूरतुल माइदा : 50).

    तथा अल्लाह तआला ने चोर के हाथ काटने की हिकमत (तत्वदर्शिता और बुद्धिमता) अपने इस कथन में स्पष्ट किया है :

    ﴿جَزَاءً بِمَا كَسَبَا نَكَالًا مِنْ اللَّهِ وَاللَّهُ عَزِيزٌ حَكِيمٌ﴾ [المائدة : 38].

    “यह उनके करतूत का बदला और अल्लाह की ओर से सज़ा के तौर पर है और अल्लाह तआला सर्वशक्तिशाली और सर्वबुद्धिमान है।" (सूरतुल माइदा : 38).

    तथा दो महिलाओं की गवाही को एक पुरूष की गवाही के बराबर करने की तत्वदर्शिता को अपने इस कथन में वर्णन किया है :

    ﴿أَنْ تَضِلَّ إِحْدَاهُمَا فَتُذَكِّرَ إِحْدَاهُمَا الأُخْرَى﴾ [البقرة : 282]

    “ताकि एक (महिला) की भूल-चूक को दूसरी याद दिला दे।" (सूरतुल बक़रा : 282).

    अतः इस कथन के कहने वाले के लिए अनिवार्य है कि वह इस धर्मत्याग से तौबा और पश्चाताप करे, अन्यथा वह काफिर होकर मरेगा।" अंत हुआ।

    आदरणीय शैख मुहम्मद बिन उसैमीन रहिमहुल्लाह।