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औरत के लिए ईद की नमाज़ सुन्नत है - (हिन्दी)

क्या औरत पर ईद की नमाज़ अनिवार्य है और यदि अनिवार्य है तो क्या वह उसे घर में पढ़ेगी या ईदगाह में

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पंद्रह शाबान की रात को सूरत यासीन और मौलिद पढ़ना - (हिन्दी)

हमारे यहाँ पंद्रह शाबान की रात को लोग मस्जिदों में एकत्र होते हैं और तीन बार सूरत यासीन पढ़ते हैं और मौलिद पढ़ते हैं।

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ईद की नमाज़ का हुक्म और उसका तरीक़ा - (हिन्दी)

यह आदरणीय शैख मुहम्मद बिन सालेह अल-उसैमीन रहिमहुल्लाह से पूछे गये एक प्रश्न का उत्तर है जिसका अंश यह है किः ईद की नमाज़ का हुक्म और उसका तरीक़ा क्या है ? और उसकी शर्तें और उसका समय क्या है ?

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पंद्रह शाबान की रात को विशिष्ट रूप से खैरात करना - (हिन्दी)

मेरे पिता ने अपने जीवन में मुझे यह वसीयत की थी कि मैं अपनी यथा शक्ति प्रति वर्ष पंद्रह शाबान की रात को खैरात किया करूँ। और वास्तव में, अभी तक मैं ऐसा करता रहा हूँ। किन्तु कुछ लोगों ने इस पर मेरी निंदा करते हुए कहा कि ऐसा करना....

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सफर के महीने के अंतिम बुद्धवार की नफ़्ल नमाज़ का हुक्म - (हिन्दी)

हमारे देश में कुछ विद्वानों का भ्रम यह है कि इस्लाम धर्म में एक नफल नमाज़ है जो सफर महीने के अंत में बुध के दिन चाश्त के समय एक सलाम के साथ चार रकअत पढ़ी जाती है जिसमें हर रकअत के अंदर सूरतुल फातिहा, सत्तरह बार सूरतुल कौसर, पचास....

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सफ़र के महीने में शादी या खतना आदि न करना एक प्रकार का अपशकुन है - (हिन्दी)

हमने सुना है कि ऐसी मान्यताएं पाई जाती हैं जिसका आशय यह है कि सफर के महीने में शादी, खतना और इसके समान अन्य चीज़ें करना जायज़ नहीं है। कृपया हमें इस बारे में इस्लामी क़ानून के अनुसार अवगत कराएं। अल्लाह आप की रक्षा करे।

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सफ़र के महीने से अपशकुन लेना जाहिलियत के कामों में से है - (हिन्दी)

अक्सर दोहराया जाता रहता है कि सफर का महीना नहूसत (अपशगुन, दुर्भाग्य) का महीना है, जिससे कुछ अवाम बहुत से मामलों में अपशकुन लेते हैं। चुनाँचे उदाहरण के तौर पर इस महीने में निकाह नहीं किया जाता है, इसी तरह कुछ लोगों का मानना है कि निकाह की सभा में....

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शव्वाल के छः रोज़ों की शुरूआत कब की जायेगी ॽ - (हिन्दी)

क्या छः रोज़ों को रमज़ान के महीने के बाद ईद के दिन के तुरंत पश्चात ही रखना आवश्यक है या कि ईद के बाद शव्वाल के महीने में निरंतर कई दिनों के पश्चात रोज़ा रखना जाइज़ है, या नहीं ॽ

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क्या उसके लिए आमंत्रण और सदुपदेश के लिए “फेसबुक” में अपनी सूचि में परायी महिलाओं की वृद्धि करना ज - (हिन्दी)

क्या यह बात जाइज़ है कि ‘‘फेसबुक” पर मुसलमान आदमी का खाता ग़ैर मह्रम महिलाओं के नामों पर आधारित हो और यह मात्र अल्लाह सर्वशक्तिमान के धर्म की ओर आमंत्रण देने के उद्देश्य से है ? हमें इस बात से अवगत करायें, अल्लाह तआला आप को लाभ प्रदान करे और....

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ईद की नमाज़ का हुक्म - (हिन्दी)

ईद की नमाज़ का हुक्म

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शबे-बरात की वास्तविकता - (हिन्दी)

शबे-बरात की वास्तविकता : वर्तमान समय में मुसलमानों के अंदर बिदनतों का बाहुल्य और भरमार है, जिनके दुष्ट परिणाम उनके जीवन में जगज़ाहिर हैं, जबकि परलोक में उन्हें कठोर अपमान, तिरस्कार और ह़ौज़े-कौसर से निराशा का सामना करना होगा। मुसलमानो में बिदअतों के प्रचलन के कुछ कारण हैं। इस आडियो....

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रमज़ान के बाद नसीहत - (हिन्दी)

रमज़ान के बाद क्या नसीहत है ?