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क्या यह बात जाइज़ है कि ‘‘फेसबुक” पर मुसलमान आदमी का खाता ग़ैर मह्रम महिलाओं के नामों पर आधारित हो और यह मात्र अल्लाह सर्वशक्तिमान के धर्म की ओर आमंत्रण देने के उद्देश्य से है ? हमें इस बात से अवगत करायें, अल्लाह तआला आप को लाभ प्रदान करे और आप को बेहतरीन बदला दे।

    क्या यह बात जाइज़ है कि ''फेसबुक" पर मुसलमान आदमी का खाता ग़ैर मह्रम महिलाओं के नामों पर आधारित हो और यह मात्र अल्लाह सर्वशक्तिमान के धर्म की ओर आमंत्रण देने के उद्देश्य से है ?

    हमें इस बात से अवगत करायें, अल्लाह तआला आप को लाभ प्रदान करे और आप को बेहतरीन बदला दे।

    हर प्रकार की प्रशंसा और गुणगान केवल अल्लाह के लिए योग्य है।

    सर्व प्रथम :

    “फेसबुक" साइट में लाभ और हानि दोनों हैं, और उसमें सम्मिलित होने वाले का उस से लाभान्वित होना और उसकी हानियों से प्रभावित होना इस बात की ओर लौटता है कि उसने उसमें अपने आप को किस उद्देश्य से पंजीकृत किया है और उसे किस तरह इस्तेमाल कर रहा है।

    हम ने प्रश्न संख्या : (137243) को इस साइट के बारे में बात करने के लिए विशिष्ट किया है, अतः उसे देखना चाहिए।

    दूसरा :

    हम आदमी के लिए अपनी सूचि में ग़ैर-मह्रम महिलाओं की वृद्धि करना जाइज़ नहीं समझते हैं, और आवश्यक रूप से उनसे पत्र व्यवहार करना और प्राथमिकता के साथ उनसे बात चीत करना जाइज़ नहीं समझते हैं और इन सबसे गंभीर और खतरनाक उनको देखना है ; ऐसा इसलिए कि यह दरवाज़ा उसके माध्यम से प्रवेश करने वालों के लिए फित्ने (प्रलोभन) का द्वार है, तथा पुरूष और महिला के बीच संबंधों के परिणाम स्वरूप जन्मित त्रासदियां गणना में आने वाली नहीं हैं और बहुत प्रसिद्ध हैं। तथा मुसलमान को शैतान के उस संबंध के मार्ग को इस तरह सजाने और संवारने से धोखा नहीं खाना चाहिए कि यह आमंत्रण देने, नसीहत, सदुपदेश करने और लाभ पहुंचाने के तौर पर है। और यदि वास्तव में आदमी दावत देने के लिए उत्सुकता रखता है, तो उसके सामने स्वयं उसके लिंग के लाखों लोग मौजूद हैं जो उसकी तरफ से इस बात के ज़रूरतमंद हैं, तो उसे उनकी वृद्धि करने और उन्हें लाभ पहुंचाने के लिए पहल करना चाहिए। इसी प्रकार उन बहनों से भी कहा जायेगा जो लाभ पहुंचाना चाहती हैं कि उन्हें भी अपने लिंग वालों के साथ ऐसा ही करना चाहिए और पुरूषों को आमंत्रण देना और उन्हें नसीहत करना उनके समलिंगकों के लिए छोड़ देना चाहिए।

    हम ने दो लिंगों के बीच पत्राचार और बातचीत का हुक्म कई फत्वों में वर्णन किया है, अतः प्रश्न संख्या (78375), (26890) और (82702) के उत्तर देखिए।

    तथा विशेष रूप से प्रश्न संख्या (98107) का उत्तर देखिए, क्योंकि हम ने उसके अंदर धर्म प्रचारकों को इंटरनेट पर औरतों के फित्ने और प्रलोभन में फंसाने के शैतान के रास्तों और चालों को स्पष्ट किया है।

    अतः हम प्रश्न करने वाले भाई से यही आशा करते हैं कि वह अपने आप को नसीहत (सदुपदेश) करे और हर प्रकार के संदेह को त्याग कर दे और अपने आप से फित्नों के दरवाज़ों को बंद कर दे, और वह अपनी सूचि में परायी औरतों को शामिल करने से बाज़ रहे, और यदि वह पहले से ही ऐसा कर चुका है तो उन्हें अपनी सूचि से मिटाने में जल्दी करना चाहिए, यह उसके और उन औरतों के दिलों की पवित्रता का अधिक पात्र है, और हम अल्लाह से ही प्रश्न करते हैं कि वह मुसलमानों के दीन की रक्षा करे और उन्हे महिलाओं के फित्ने और प्रलोभन से बचाए।