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पवित्र महान रक्षक (अल्लाह)

पवित्र महान रक्षक (अल्लाह)

समस्त प्रशंसाएं अल्लाह के लिए हैं, हम उसी की तारीफें करते हैं, उसी से मदद चाहते हैं, उसी से हम अपने पापों के लिए क्षमा मांगते हैं, अपने प्राण और करतूत की बुराइयों से उसकी पनाह चाहते हैं, अल्लाह जिस को सीधा रास्ता दिखा दे उसे कोई भटका नहीं सकता और जिसे पथभ्रष्ट कर दे उसे कोई सीधी राह पर नहीं चला सकता, मैं गवाही देता हूं कि अल्लाह के अलावा वास्तव में कोई पूजनीय नहीं है और मैं गवाही देता हूं कि हज़रत मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) अल्लाह के बंदे और उनके पैगंबर हैं। पैग़ंबर, आपके वंश और आपके पदचिन्हों पर चलने वाले साथियों पर अत्याधिक सलाम व शांति हो।

प्रशंसा और सलाम के बाद:

अल्लाह से डरो जितना डरने का हक है और उसे गोपनीयता और सरगोशी में अपना निगरान समझो।

मुसलामानो!

अल्लाह के अच्छे-अच्छे नाम हैं जिनमें बड़े अच्छे और सर्वोच्च गुणों को बयान किया गया है, जिसे उसके नाम और उसके गुणों की जितनी जानकारी होती है वो उतना ही अपने रब की इबादत व वंदना और उस से निकट होने में आगे होता है, उस के नामों को जो बंदा गिनती करेगा (याद कर समझेगा) वह जन्नत में दाखिल होगा, ब्रह्मांड में जो भी चाल और शांति है वह उसी अल्लाह के नामों और गुणों के प्रभाव से हैं, महान अल्लाह फरमाता है:

اللَّهُ الَّذِي خَلَقَ سَبْعَ سَمَاوَاتٍ وَمِنَ الْأَرْضِ مِثْلَهُنَّ يَتَنَزَّل الْأَمْرُ بَيْنَهُنَّ لِتَعْلَمُوا أَنَّ اللَّهَ عَلَىٰ كُلِّ شَيْءٍ قَدِيرٌ

وَأَنَّ اللَّهَ قَدْ أَحَاطَ بِكُلِّ شَيْءٍ عِلْمًا

अल्लाह ही है जिसने सात आकाश बनाए और उन्ही के सदृश धरती से भी। उनके बीच (उसका) आदेश उतरता रहता है ताकि तुम जान लो कि अल्लाह को हर चीज़ का सामर्थ्य प्राप्त है और यह कि अल्लाह हर चीज़ को अपनी ज्ञान-परिधि में लिए हुए है

(अत-तलाक (At-Talaq):12)

अल्लाह तआला के नामों में से वह नाम जिसे उसने खुद को दिया है और अपने आप को अपने सृष्टि के सामने परिचित किया है एक नाम अल-हाफिज़ और अल-हफीज़ हैं अर्थात रक्षक यानी अपनी सृष्टि में से उसने जितने को अस्तित्व दिया है सबकी अपनी क्षमता के साथ रक्षा करता है, अगर उसकी सुरक्षा ना होती तो सारी सृष्टि का विनाश हो जाता, अगर वह देखभाल ना करता तो सृष्टि का विधान टूट फूट का शिकार हो जाता और एक सृष्टि दूसरी सृष्टि पर चढ़ दौड़ती।

तो आकाश, धरती और जो कुछ उन दोनों के बीच में है वह सब उसी के आदेश पर कायम है, महान अल्लाह का कथन है:

إِنَّ اللَّهَ يُمْسِكُ السَّمَاوَاتِ وَالْأَرْضَ أَن تَزُولَا ۚ وَلَئِن زَالَتَا إِنْ أَمْسَكَهُمَا مِنْ أَحَدٍ مِّن بَعْدِهِ ۚ

إِنَّهُ كَانَ حَلِيمًا غَفُورًا

अल्लाह ही आकाशों और धरती को थामे हुए है कि वे टल न जाएँ और यदि वे टल जाएँ तो उसके पश्चात कोई भी नहीं जो उन्हें थाम सके। निस्संदेह, वह बहुत सहनशील, क्षमा करनेवाला है।

(Fatir:41)

अल्लाह दोनों की सुरक्षा करता है और जो कुछ इन दोनों के बीच में है उनकी भी, ताकि जब तक उनका बाकी रहना निर्धारित है उस वक्त तक वह बाकी रहे, ना उन का समय से पहले अंत हो और ना ही विनाश हो और इन चीजों की सुरक्षा करना उसके लिए बड़ा आसान है:

وَسِعَ كُرْسِيُّهُ السَّمَاوَاتِ وَالْأَرْضَ ۖ وَلَا يَئُودُهُ حِفْظُهُمَا ۚ وَهُوَ الْعَلِيُّ الْعَظِيمُ

उसकी कुर्सी आकाशों और धरती को व्याप्त है और उनकी सुरक्षा उसके लिए तनिक भी भारी नहीं और वह उच्च, महान है

उसकी सुरक्षा उसकी सारी सृष्टि को घेरे हुए हैं

(अल-बक़रा Al-Baqarah:255)

उसके संरक्षण ने समस्त सृष्टि को घेर रखा है, कोई उसकी सुरक्षा से पलक झपक ने की देर तक भी आत्मनिर्भर नहीं बन सकता।

إِنَّ رَبِّي عَلَىٰ كُلِّ شَيْءٍ حَفِيظٌ

"निस्संदेह मेरा रब हर चीज़ की देख-भाल कर रहा है।"

(हूद (Hud):57)

जो कुछ आकाश में है, धरती के ऊपर है और उस के नीचे है, इनमें से हर एक चीज़ अल्लाह की किताब में सुरक्षित है।

قد علمنا ما تنقص الأرض منهم وعندنا كتاب حفيظ

हम जानते है कि धरती उनमें जो कुछ कमी करती है और हमारे पास सुरक्षित रखनेवाली एक किताब भी है

(काफ (Qaf):4)

इब्ने कसीर (रहमतुल्लाहि अलैह) फरमाते हैं: आयत का मतलब है: अल्लाह कहते हैं कि "हम जानते हैं उन मुर्दा शरीरों को भी कि धरती ने उन्हें कितना खा लिया, हम इसे अच्छी तरह जानते हैं, हम से यह चीज़ छुपी हुई नहीं है कि कहां शरीर जुदा जुदा हो गए फिर वो कहां चले गए? और फिर कहां तक उनको जाना है?"

अल्लाह का अपने बन्दों को सुरक्षा देने का मतलब यह है कि उसने फरिश्तों को उनकी सुरक्षा की जिम्मेदारी सौंपी है जो उनके आगे पीछे आते जाते रहते हैं और अल्लाह के हुक्म से उन्हें मुश्किलों और आफतों से सुरक्षा प्रदान करते हैं:

لَهُ مُعَقِّبَاتٌ مِّن بَيْنِ يَدَيْهِ وَمِنْ خَلْفِهِ يَحْفَظُونَهُ مِنْ أَمْرِ اللَّه

उसके रक्षक (पहरेदार) उसके अपने आगे और पीछे लगे होते हैं जो अल्लाह के आदेश से उसकी रक्षा करते है।

(अर-रअद (Ar-Ra`d):11)

हज़रत मुजाहिद कहते हैं: हर बंदा के पास एक फरिश्ता होता है जो अल्लाह की तरफ से जिम्मेदार होता है जो उसकी नींद और बेदारी के समय जिन्नात इंसान और कीड़े मकोड़ों से उसकी हिफाज़त करता है, कोई भी चीज जब उसकी तरफ आती है तो उसे कहता है: पीछे चले जाओ, सिवाय उस चीज़ के जिसको अल्लाह ने खुद इजाज़त दी हो तो वह चीज़ उस तक पहुंच कर रहती है।

अल्लाह अपने बंदों के तमाम कार्यों और करतूतों को सुरक्षित रखता है उससे कोई भी चीज़ ग़ायब नहीं होती, अल्लाह ने हर इंसान के साथ एक फरिश्ते को मुकर्रर कर दिया है जो उसके कार्यों को नोट करता है और जो भी वह आज्ञा पालन या उलंघन करता है सब कुछ वह फरिश्ता काउंट करता है।

إِنْ كُلُّ نَفْسٍ لَمَّا عَلَيْهَا حَافِظٌ

कि हर एक व्यक्ति पर एक निगरानी करनेवाला नियुक्त है।

(अत-तारिक (At-Tariq):4)

और वह फरिश्तों के किताबों में नोट कर लिए जाते हैं:

وَإِنَّ عَلَيْكُمْ لَحَافِظِينَ * كِرَامًا كَاتِبِينَ *يَعْلَمُونَ مَا تَفْعَلُونَ

जबकि तुमपर निगरानी करनेवाले नियुक्त हैं, प्रतिष्ठित लिपिक, वे जान रहे होते हैं जो कुछ भी तुम लोग करते हो।

(अल-इन्फितार (Al-'Infitar):10-11-12)

अल्लाह के प्रिय मित्र जैसे उसके पैग़ंबर (अलैहिमुस्सलाम) और पैगंबर के आज्ञाकारी लोग, इनके लिए अल्लाह की सुरक्षा खास होती है, महान पवित्र अल्लाह ऐसी चीज़ों से उनकी हिफाज़त करता है जो उनके इमान को नुकसान पहुंचा सकती हैं या उनके यकीन को डगमगा सकती हैं जैसे संदेह फितने और वासना जैसी बुरी चीज़ों से हिफाजत करता है, इसी तरह दुश्मनों से भी उनकी हिफाजत करता है चाहे वह जिन्नात में से हो या इंसान में से हो, हर प्रकार के दुश्मनों के ख़िलाफ अल्लाह उनकी मदद करता है और उनकी चालों को नष्ट करता है।

जो अल्लाह के आदेशों का पालन करके और मना की हुई चीजों से बचकर के अल्लाह की आज्ञाकारी की रक्षा करता है और अल्लाह की सीमाओं से आगे नहीं बढ़ता है तो तमाम स्थितियों में अल्लाह उसके साथ होता है, वह जहां भी रुख करे अल्लाह उसे अपनी हिफाज़त में रखता है और उसकी सहायता करता है, उसकी दीन की सुरक्षा करता है, उसके दीन की संदेहों और वासनाओं से रक्षा करता है, उसकी दुनिया की रक्षा करता है, परिवार में उसकी रक्षा करता है, मौत के समय उसके ईमान की रक्षा करता है और उसे ईमान पर मौत नसीब करता है, पैग़ंबर (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने फरमाया: "तुम अल्लाह के हुकुम की रक्षा करो अल्लाह तुम्हारी रक्षा करेगा, अल्लाह के हुकुम की रक्षा करो तुम उसे अपने सामने पाओगे" (तिर्मिज़ी)

अल्लाह के पैग़ंबरों ने अपने रब के पैग़ाम को पहुंचा दिया और दीन को स्थापित किया जिस दीन पर अल्लाह अपने बंदों के लिए राजी हुआ, इस रास्ते में उन्होंने बहुत सी कठिनाइयों और मुसीबतों का सामना किया, इन सब चीज़ों का सामना करते समय वही पवित्र रक्षक अल्लाह उनके साथ था, उसने उनकी हिफाज़त की और पैगाम के पहुंचाने में त्रुटियों से उन्हें दूर रखा, दुश्मन से उनको प्रताड़ित किया गया लेकिन दुश्मनों की चाल से अल्लाह ने उनकी रक्षा की।

इब्राहीम (अलैहिस्सलाम) को बहुत बड़ी आग में डाल दिया गया जो आग किसी भी चीज़ को नहीं छोड़ती थी, जो भी चीज़ सामने आती उसे जला देती, ऐसे समय में उन्होंने पवित्र रक्षक अल्लाह से संपर्क किया और कहा अल्लाह ही हमारे लिए काफी है और वह बड़ा अच्छा ज़िम्मेदार है, अल्लाह ने उस आग से उन्हें निजात दी और उनके लिए आग ठंडी और शांतिपूर्ण बन गई।

इस्माईल (अलैहिस्सलाम) को उनके पिता ने चित् लेटा दिया ताकि उनको ज़बह कर दें जैसा कि उनके रब ने आदेश दिया था, जब दोनों अल्लाह के आदेश के आगे झुक गए और अपने सपने को सच कर दिखाया, अपने पिता से इस्माईल (अलैहिस्सलाम) ने कहा: "पिता जी जो आपको आदेश दिया गया है उसे पूरा करें अल्लाह चाहे तो आप मुझे सब्र करने वालों में से पाएंगे", तो अल्लाह ने उनके बदले में एक बड़ा जानवर भेज दिया।

हूद (अलैहिस्सलाम) ने अपने समुदाय को बुलाया लेकिन जब उन्होंने मुंह फेर लिया और तकलीफ देने की धमकी दी तो वह अपने रक्षक परवरदिगार की शरण में आ गए और उन्होंने कहा

فَإِن تَوَلَّوْاْ فَقَدْ أَبْلَغْتُكُم مَّآ أُرْسِلْتُ بِهِۦٓ إِلَيْكُمْ ۚ وَيَسْتَخْلِفُ رَبِّى قَوْمًا غَيْرَكُمْ وَلَا تَضُرُّونَهُۥ شَيْـًٔا ۚ

إِنَّ رَبِّى عَلَىٰ كُلِّ شَىْءٍ حَفِيظٌ

"किन्तु यदि तुम मुँह मोड़ते हो तो जो कुछ देकर मुझे तुम्हारी ओर भेजा गया था, वह तो मैं तुम्हें पहुँचा ही चुका। मेरा रब तुम्हारे स्थान पर दूसरी किसी क़ौम को लाएगा और तुम उसका कुछ न बिगाड़ सकोगे। निस्संदेह मेरा रब हर चीज़ की देख-भाल कर रहा है।"

(हूद (Hud):57)

यानी वह मुझे तुम्हारी बुराई और तुम्हारी चाल से रक्षा करेगा, तुम मुझे कुछ भी बुराई नहीं पहुंचा सकोगे।

अल्लाह की सुरक्षा इंसानी सुरक्षा से ज्यादा परिपूर्ण और मुकम्मल होती है, यूसुफ (अलैहिस्सलाम) के भाइयों ने यूसुफ की सुरक्षा को अपने साथ बांधा और अपने पिता से कहा युसूफ को हमारे साथ कल भेज दीजिए, खेलेगा कूदेगा और हम उसकी रक्षा करेंगे तो उन्होंने यूसुफ को गुम कर दिया लेकिन जब याकूब (अलैहिस्सलाम) ने यूसुफ और उनके भाई की सुरक्षा को अल्लाह के साथ बांध दिया और कहा अल्लाह ही सबसे बेहतरीन सुरक्षा प्रदान करने वाला है और दयावानों का दयावान है तो अल्लाह ने दोनों की रक्षा की और उन दोनों को उनके पिता के पास लौटा दिया, उन दोनों का अनजाम भी सबसे अच्छा रहा बल्कि अल्लाह ने युसूफ को अपने बंदों के अधिकारों का रक्षक बना दिया, यहां तक कि यूसुफ (अलैहिस्सलाम) ने अपने बारे में कहा कि मैं रक्षक और जानकार हूं।

मूसा (अलैहिस्सलाम) की माता ने अल्लाह की रक्षा पर भरोसा करते हुए अपने दूध पीते बच्चे को समंदर में डाल दिया, उनके रब ने उनके बच्चे की हिफाजत की और उसे अपनी आंखों के सामने दुश्मन के घर में रखा, उन्हें बहुत ही महान पैगंबर बनाया जो दृढ़ संकल्प वाले पैगंबरों में गिने जाते हैं।

हज़रत यूनुस (अलैहिस्सलाम) को मछली ने निगल लिया, मछली के पेट, समंदर और रात के अंधेरे में उन्होंने अपने रक्षक परवरदिगार को पुकारा:

لا إله إلا أنت سبحانك إني كنت من الظالمين

"तेरे सिवा कोई भी वास्तव में पूजनीय है ही नहीं, तू पवित्र है, मैं ही अपने आप पर अत्याचार करने वालों में से था।"

उनके परवरदिगार ने उनकी पुकार को सुना और स्वीकार किया, उन्हें मुसीबत से मुक्ति दिलाई, इसी तरह अल्लाह ईमान वालों को नजात देता है और वह ऐसे ही बर्बाद नहीं हो जाते:

فَنَبَذْنَاهُ بِالْعَرَاءِ وَهُوَ سَقِيمٌ * وَأَنبَتْنَا عَلَيْهِ شَجَرَةً مِّن يَقْطِينٍ

अन्ततः हमने उसे इस दशा में कि वह निढ़ाल था, साफ़ मैदान में डाल दिया, हमने उसपर बेलदार वृक्ष उगाया।

(अस-साफ्फात (As-Saffat):145-146)

हज़रत सुलैमान (अलैहिस्सलाम) को ज़बर्दस्त बादशाहत दी गई, अल्लाह ने उनके लिए जिन्नात को उनके अधीन कर दिया जो उनके आज्ञा पालन करने पर विवश हो गए और अजीबोगरीब, आश्चर्यजनक और चमत्कारी चीज़ें उनके द्वारा हुईं, अल्लाह उनकी भी सुरक्षा करने वाला था जिन्नात के विद्रोह और उनकी तकलीफ से:

وَمِنَ ٱلشَّيَٰطِينِ مَن يَغُوصُونَ لَهُۥ وَيَعْمَلُونَ عَمَلًا دُونَ ذَٰلِكَ ۖ وَكُنَّا لَهُمْ حَٰفِظِينَ

और कितने ही शैतानों को भी अधीन किया था, जो उसके लिए गोते लगाते और इसके अतिरिक्त दूसरा काम भी करते थे। और हम ही उनको संभालनेवाले थे

(अल-अंबिया (Al-'Anbya'):82)

हाफिज इब्ने कसीर (रहमतुल्लाहि अलैह) फरमाते हैं: अल्लाह तआला सुलैमान (अलैहिस्सलाम) की रक्षा करता था इस बात से कि कोई भी शैतान उन्हें कोई बुराई ना पहुंचा दे बल्कि सब उनकी मुट्ठी में और उनके मातहत थे, किसी के अंदर इतनी हिम्मत नहीं थी कि उनके पास और करीब बढ़ सके बल्कि उनके दरमियान निर्णय लेने वाले सुलैमान (अलैहिस्सलाम) ही थे, अगर चाहते तो उन्हें आज़ाद कर देते और चाहते तो उनमें से जिसे चाहते क़ैद कर देते।

ईसा (अलैहिस्सलाम) की हत्या करने के लिए यहूदियों ने बड़ी कोशिश की और उनके पैगाम को खत्म करने का इरादा किया तो अल्लाह ने उन्हें जिंदा उठा लिया और उनके हाथों से ईसा (अलैहिस्सलाम) की रक्षा की और इनके बदले में दुश्मनों में से एक को उनकी जैसी शक्ल दे दी:

وَمَا قَتَلُوهُ وَمَا صَلَبُوهُ وَلَٰكِن شُبِّهَ لَهُمْ

हालाँकि न तो इन्होंने उसे क़त्ल किया और न उसे सूली पर चढाया, बल्कि मामला उनके लिए संदिग्ध हो गया।

(अन-निसा (An-Nisa'):157)

हमारे पैगंबर मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) जिन पर पैग़ंबरी सिलसिला का अंत हुआ अल्लाह ने उनकी भी सुरक्षा की जिम्मेदारी ली:

وَاللَّهُ يَعْصِمُكَ مِنَ النَّاسِ ۗ إِنَّ اللَّهَ لَا يَهْدِي الْقَوْمَ الْكَافِرِينَ

अल्लाह तुम्हें लोगों (की बुराइयों) से बचाएगा। निश्चय ही अल्लाह इनकार करनेवाले लोगों को मार्ग नहीं दिखाता

(अल-माइदा (Al-Ma'idah):67)

अर्थात अल्लाह दुश्मनों की चालों से आपकी रक्षा करेगा और आप जो कुछ ले करआए हैं उनकी सुरक्षा भी करेगा।

हज़रत जाबिर (रदियल्लाहु अन्हू) कहते हैं कि हम पैग़ंबर (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) के साथ आगे बढ़े यहां तक कि जब जात अर-रेक़ा पहुंचे तो एक छावदार पेड़ के नीचे आए और हमने वहां पैग़ंबर (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) को आराम के लिए छोड़ दिया, मुशरिकीन (बहुइश्वरवादी) में से एक आदमी आया जबकि आप (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) की तलवार पेड़ से लटक रही थी, उसने पैग़ंबर (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) की तलवार को पकड़ा और तलवार को म्यान से बाहर निकाला और पैग़ंबर (सल्लल्लाहू अलैहि वयसल्लम) को कहने लगा: क्या तुम्हें मुझसे कोई भय नहीं लग रहा है? आपने फरमाया: नहीं, तो उसने कहा: आज कौन मुझसे आपको बचाएगा? आपने कहा: अल्लाह तुमसे मुझे बचाएगा, तो उसने दोबारा तलवार को म्यान में डाल दिया और पेड़ पर लटका दिया।

पैग़ंबर (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) के आज्ञाकारी सहाबा के नसीब में भी अल्लाह की सुरक्षा थी वह जितने आप के आज्ञा पालन करते उतना अल्लाह उनकी रक्षा करता।

इब्न क़य्यिम फरमाते हैं: "पैग़ंबर (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) की आज्ञा पालन करने वालों के हिस्से में भी अल्लाह की हिफाजत थी, उनकी रक्षा, उनकी सुरक्षा, उनका सम्मान और उनकी सहायता सब कुछ उनको हासिल था, उतना ही जितना वह आज्ञा पालन करते थे तो कोई बराबर इसे हासिल करता रहा और कोई अधिक से अधिक आगे बढ़ता रहा।"

महान क़ुरआन सबसे अंतिम और सबसे संपूर्ण पुस्तक है अल्लाह ने उसकी हिफाज़त की जिम्मेदारी खुद ली है:

إِنَّا نَحْنُ نَزَّلْنَا ٱلذِّكْرَ وَإِنَّا لَهُۥ لَحَٰفِظُونَ

यह अनुसरण निश्चय ही हमने अवतरित किया है और हम स्वयं इसके रक्षक हैं।

(अल-हिज्र (Al-Hijr):9)

तो कोई हाथ उसे बदल नहीं सकता, ना ही उसमें किसी चीज़ को मिलाया जा सकता है और ना ही उससे कुछ घटाया जा सकता है, चाहे आदेश वाली आयतें हों, सीमा वाली आयतें हों चाहे अपरिहार्य धारा वाली आयतें हों , उसके शब्द और अर्थ दोनों सुरक्षित हैं, सर्वशक्तिमान अल्लाह ने फरमाया:

وَإِنَّهُ لَكِتَابٌ عَزِيزٌ * لَا يَأْتِيهِ الْبَاطِلُ مِنْ بَيْنِ يَدَيْهِ وَلَا مِنْ خَلْفِهِ

हालाँकि वह एक प्रभुत्वशाली किताब है, (तो न पूछो कि उनका कितना बुरा परिणाम होगा) असत्य उस तक न उसके आगे से आ सकता है और न उसके पीछे से;

( फुस्सीलत (Fussilat):41)

इससे पहले जब ईसाइयों को अल्लाह ने किताब की रक्षा की जिम्मेदारी सौंपी थी तो उन्होंने क्या किया था इसके बारे में अल्लाह फरमाता है:

بِمَا اسْتُحْفِظُوا مِن كِتَابِ اللَّهِ

क्योंकि उन्हें अल्लाह की किताब की सुरक्षा का आदेश दिया गया था और वे उसके संरक्षक थे।

(अल-माइदा (Al-Ma'idah):44)

लेकिन इसमें तब्दीली और मिलावट दाखिल हो गई

बंदा भी अल्लाह के सुरक्षा के सवाल से बेपरवाह नहीं हो सकता, पैग़ंबर (सल्लल्लाहु अलैहि व व सल्लम) अपने रब को सुबह शाम पुकारा करते थे, ऐसी दुआ के साथ जो संरक्षण के सारे स्तंभों पर आधारित है

اللَّهُمَّ احْفَظْنِي مِنْ بَيْنِ يَدَيَّ، وَمِنْ خَلْفِي، وَعَنْ يَمِينِي، وَعَنْ شِمَالِي، وَمِنْ فَوْقِي.

وَأَعُوذُ بِعَظَمَتِكَ أَنْ أُغْتَالَ مِنْ تَحْتِي

"ऐ अल्लाह मेरे सामने, मेरे पीछे, दाएं, बाएं और ऊपर से (आने वाली मुसीबतों से) मेरी रक्षा फरमा, मैं तेरी महानता के ज़रिये नीचे से धोखे से मारे जाने से तेरी पनाह चाहता हूं"।

(अबू दाऊद)

(नीचे से धोखे से मारे जाने का मतलब है धंसा दिया जाना। )

इसका मतलब है कि ऐ रब मुझे सुरक्षा दे जिन्नात, इंसान और कीड़े मकोड़ों की बुराइयों से और इबलीस की बुराइयों से जिस ने कहा कि फिर मैं लोगों के पास सामने से, पीछे से, दाएं से और बाएं से आऊंगा, मुझे हर उतरने होने वाली बला से सुरक्षा दे और धंसने तथा दूसरे अज़ाब से और आम विनाशकारी चीजों से मेरी रक्षा कर।

बंदा नींद की हालत में जिन्नात की तकलीफ का निशाना होता है तो जिसने आयतुल कुर्सी को सोते समय पढ़ ली वो अल्लाह की सुरक्षा में रहेगा, शैतान उसके क़रीब सुबह तक नहीं आएगा। (बुखारी)

इसी तरह जागने की अवस्था में भी कोई बंदा अल्लाह की हिफाज़त से बेपरवाह नहीं हो सकता, मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने कहा: जब तुम में से कोई आदमी बिस्तर की तरफ आए तो कहे:

"سبحانك اللهم ربِّي وَضعتُ جَنبي وبِكَ أرفعُهُ، إن أمسَكْتَ نفسي فارحَمها، وإن أرسلتَها فاحفَظها بما تحفَظُ بِهِ عبادَكَ الصَّالحينَ".

ऐ मेरे अल्लाह तू पाक पवित्र है तू मेरा रब है, तेरे ही नाम से मैं अपने पहलू को रखता हूं और तेरे ही नाम से उठाता हूं, अगर तू मेरी सांस रोक दे तो मेरे पापों को माफ कर देना और अगर तू मेरे साँस को जारी रखे यानी मेरी आत्मा को नींद के बाद लौटा दे तो उसकी सुरक्षा करना उसी प्रकार से जैसे तू नेक बंदों की सुरक्षा करता है।

(बुखारी व मुस्लिम)

जो अल्लाह की सीमाओं की रक्षा करेगा उसी तरीके से जिसका अल्लाह ने करने का हुक्म दिया है पूरी नेक नियत और संपूर्ण तरीके से तो अल्लाह उसे जन्नत में दाखिल कर देगा, अल्लाह तआला ने फरमाया:

هَٰذَا مَا تُوعَدُونَ لِكُلِّ أَوَّابٍ حَفِيظٍ

"यह है वह चीज़ जिसका तुमसे वादा किया जाता था हर रुजू करनेवाले, बड़ी निगरानी रखनेवाले के लिए;"

(काफ (Qaf):32)

तो ऐ मुसलमानो!

अल्लाह महान है, बड़ा है, ब्रह्मांड की बड़ाई के साथ वह उसकी हिफाजत करता है, हर इंसान की फितरत है कि जो उसकी सुरक्षा करे, उसे संरक्षण दे वह उस से प्रेम करता है, अल्लाह आपकी हर जगह हर समय सुरक्षा करता है तो वह ज़्यादा हक रखता है कि उस से प्रेम किया जाए और उसके आज्ञा का पालन किया जाए, तो जिसने अल्लाह के संरक्षण को अपने कार्यों के लिए महसूस किया अल्लाह उसे अपनी पूरी निगरानी प्रदान करेगा।

जो यकीन कर ले कि अल्लाह अकेला हर चीज़ को संरक्षण देने वाला है और उसकी हिफाजत किसी अन्य सृष्टि की हिफाज़त से ज्यादा संपूर्ण होती है तो उस पर भरोसा करेगा, अपने दीन की रक्षा के लिए, अपने परिवार की रक्षा के लिए, अपने बेटों और अपने धन दौलत की रक्षा के लिए उसी पर वह भरोसा करेगा,अपने आप की रक्षा के लिए सबसे बड़ा कारण जिसे इंसान अपना सकता है वह अल्लाह को एक मानना है, उसी के आज्ञा का पालन करना।

और अल्लाह को जब कोई चीज सौंप दी जाए तो उसकी रक्षा करता है।

मैं अल्लाह की पनाह (शरण) चाहता हूं दुत्कारे हुए शैतान से

وَرَبُّكَ عَلَىٰ كُلِّ شَىْءٍ حَفِيظٌ

तुम्हारा रब हर चीज़ का अभिरक्षक है

(सबा (Saba'):21)

अल्लाह आपको और मुझे बरकत दे


दूसरा ख़ुतबा

समस्त प्रशंसाएं अल्लाह के लिए है उसके उपकार की बुनियाद पर, सारी कृतज्ञता भी उसी के लिए है उसके एहसान और राह दिखाने की बुनियाद पर, अल्लाह की महानता को ज्ञात करते हुए मैं गवाही देता हूं के उसके अलावा कोई पूजनीय नहीं है और गवाही देता हूं कि अपने पैग़ंबर मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) अल्लाह के बन्दे और उसके पैग़ंबर, उन पर अपार सलाम व शांति की वर्षा हो

ऐ मुसलमानो!

जिसने जान लिया कि हर चीज का संरक्षण देने वाला अल्लाह है और वह हर चीज पर वो सामर्थ्य रखता है तो दूसरे कारणों की तरफ नहीं जाएगा, वह अपना कार्य करेगा इस यक़ीन के साथ कि सारा का सारा संरक्षण अल्लाह के हाथ में है, जबकि कारण कभी-कभी अपने काम से पीछे भी हट सकते हैं, सो वो सच्चाई के साथ अल्लाह का शरण लेता है, सुरक्षा हिफाजत, तकलीफ देने वाली चीज़ों से सलामती और विनाशकारी चीजों से निजात के लिए अल्लाह की तरफ रुख करता है।

और जान लो कि अल्लाह ने तुम्हें नमाज़ अदा करने का आदेश दिया है..... ।