زكاة المال تخرج من جنسه

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translation लेखक : स्थायी समिति वैज्ञानिक अनुसंधान, इफ्ता, दावत एंव निर्देश
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धन की ज़कात उसी के जिन्स से निकाली जायेगी

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धन की ज़कात उसी के जिन्स से निकाली जायेगी

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سؤال أجاب عنه علماء اللجنة الدائمة للإفتاء ونصه : «هل يجوز إعطاء الزكاة مالا نقديا، أم برا، أو أرزا أو أي نوع من أنواع الحبوب؟ وهل يجوز إعطاؤها مالا نقديا؟ وهل تجب زكاة في المال الذي يرغب به التجارة، وكم يدفع زكاة للمال إن كان يزكى؟ هذا والله يحفظكم لما فيه الخير للإسلام والمسلمين».

    धन की ज़कात उसी के जिन्स से निकाली जायेगी

    ] हिन्दी & Hindi &[ هندي

    इफ्ता की स्थायी समिति

    अनुवादः अताउर्रहमान ज़ियाउल्लाह

    2013 - 1434

    زكاة المال تخرج من جنسه

    « باللغة الهندية »

    اللجنة الدائمة للإفتاء

    ترجمة : عطاء الرحمن ضياء الله

    2013 - 1434

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    बिस्मिल्लाहिर्रहमानिर्रहीम

    मैं अति मेहरबान और दयालु अल्लाह के नाम से आरम्भ करता हूँ।

    إن الحمد لله نحمده ونستعينه ونستغفره، ونعوذ بالله من شرور أنفسنا، وسيئات أعمالنا، من يهده الله فلا مضل له، ومن يضلل فلا هادي له، وبعد:

    हर प्रकार की हम्द व सना (प्रशंसा और गुणगान) केवल अल्लाह के लिए योग्य है, हम उसी की प्रशंसा करते हैं, उसी से मदद मांगते और उसी से क्षमा याचना करते हैं, तथा हम अपने नफ्स की बुराई और अपने बुरे कामों से अल्लाह की पनाह में आते हैं, जिसे अल्लाह तआला हिदायत प्रदान कर दे उसे कोई पथभ्रष्ट (गुमराह) करने वाला नहीं, और जिसे गुमराह कर दे उसे कोई हिदायत देने वाला नहीं। हम्द व सना के बाद :

    धन की ज़कात उसी के जिन्स से निकाली जायेगी

    प्रश्नः

    क्या ज़कात को नक़द धन (रूपये), या गेहूँ, या धान, या किसी भी अनाज की शक्ल में दिया जा सकता है ? तथा क्या उसे नक़द मुद्रा के रूप में देना जायज़ है ? क्या उस धन में ज़कात अनिवार्य है जिसके द्वारा वह व्यापार करने की इच्छा रखता है, और अगर उस धन की ज़कात निकाली जायेगी तो वह उसकी कितनी ज़कात निकालेगा ? अल्लाह तआला आपकी उस चीज़ के लिए रक्षा करे जिसमें इस्लाम और मुसलमानों का कल्याण हो।

    उत्तरः

    धन के मालिक पर अनिवार्य है कि वह अपने धन की ज़कात उसी के जिन्स (वर्ग) से निकाले, चुनाँचे वह नक़द धन (रूपये) से नक़द (रूपया) निकाले, और गेहूँ से गेहूँ, धान से धान, और खजूर से खजूर निकाले, और इसी तरह अन्य चीज़ों के साथ भी करे।

    जहाँ तक उस धन का संबंध है जिसे व्यापार के लिए तैयार किया गया है तो उसमें उस समय ज़कात अनिवार्य होगी जब वह स्वयं या किसी अन्य ज़कात वाले धन, जैसे नक़द या व्यापार सामग्री के साथ मिलाने से निसाब (ज़कात के अनिवार्य होने की न्यूनतम मात्रा) को पहुँच जाये और उसके ऊपर एक साल की अवधि बीत जाए। वह उसकी ज़कात दसवें भाग का एक चौथार्इ अर्थात 2.5% (अढ़ार्इ प्रतिशत) नक़द के रूप में निकालेगा।

    और अल्लाह तआला ही तौफीक़ प्रदान करने वाला (शक्ति का स्रोत) है, तथा अल्लाह तआला हमारे र्इश्दूत मुहम्मद, उनकी संतान और उनके साथियों पर दया और शांति अवतरित करे।

    इफ्ता और वैज्ञानिक अनुसंधान की स्थायी समिति

    अब्दुल्लाह बिन गुदैयान (सदस्य)

    अब्दुर्रज़्ज़ाक़ अफीफी (उपाध्यक्ष)

    अब्दुल अज़ीज़ बिन अब्दुल्लाह बिन बाज़ (अध्यक्ष)

    “फतावा स्थायी समिति" (9/196 – 197).

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