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यह क़ाज़ी मुहम्मद सुलैमान मनसूरपूरी की प्रसिद्ध उर्दू पुस्तक 'मुहर-ए-नबूवत' का हिंदी रूपांतरण है। सीरत-ए-रसूल पर लिखी गई क़ाज़ी साहब की इस संक्षिप्त पुस्तक को वह ख्याति प्राप्त हुई, जो बहुत कम किताबों के हिस्से में आती है। अनुवाद का काम मुश्ताक़ अहमद नदवी ने किया है और एक साधारण पाठक के लिए यह एक बहुत लाभकारी पुस्तक है।