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कुछ विद्वानों का कहना है कि पंद्रह शाबान और उस के रोज़े की फज़ीलत और पंद्रहवीं शाबान की रात को इबादत में गुज़ारने के बारे में हदीसें वर्णित हैं। क्या ये हदीसें शुद्ध और प्रमाणित हैं, या सहीह नहीं हैं ? यदि कोई हदीस सही है तो हमें स्पष्ट जानकारी दें, और यदि मामला इसके विपरीत है तो मैं आप से स्पष्टीकरण चाहता हूँ। अल्लाह तआला आप को पुण्य प्रदान करे।