सफ़र के महीने से अपशकुन लेना

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translation लेखक : अब्दुलहमीद बिन जाफर दाग़िस्तानी
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सफ़र के महीने से अपशकुन लेना

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सफ़र के महीने से अपशकुन लेना

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प्रस्तुत लेख में अपशकुन व निराशावाद का अर्थ स्पष्ट करते हुए यह उल्लेख किया गया है कि यदि मुसलमान के दिल में अपशकुन पैदा हो जाए तो उसके साथ कैसा व्यवहार करना चाहिए। तथा इस बात पर प्रकाश डाली गई है कि सफर के महीने से अपशकुन लेना जाहिलियत के समयकाल की प्रथा है, इस्लाम धर्म में उसकी कोई वास्तविकता नहीं है।